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राष्ट्रीय खेलों में भ्रष्टाचार का दावा: सोशल मीडिया पर झूठी खबरों से उत्तराखंड की छवि धूमिल करने की कोशिश?
क्या झूठी खबरें उत्तराखंड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा रही हैं?
खेल किसी भी समाज के उत्थान और युवाओं के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। जब कोई राज्य राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करता है, तो वह न केवल अपने खिलाड़ियों के लिए अवसर पैदा करता है, बल्कि देश की खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। लेकिन अगर खेलों को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगें—वह भी बिना किसी ठोस प्रमाण के—तो यह न केवल खेल आयोजकों बल्कि उन खिलाड़ियों के लिए भी एक मानसिक आघात होता है जो कठिन परिश्रम करके इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। हाल ही में, उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर एक सोशल मीडिया पोर्टल पर एक खबर प्रकाशित हुई, जिसने राज्य सरकार और खेल विभाग की साख पर सवाल उठाए हैं।
झूठी खबर फैलाने का आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘उत्तराखंड वाले’ नामक सोशल मीडिया पोर्टल के संचालक ने दिनांक 05 फरवरी 2025 को एक पोस्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि उत्तराखंड में हो रहे राष्ट्रीय खेलों में फिक्सिंग और भ्रष्टाचार हो रहा है। खबर में यह भी आरोप लगाया गया कि खेलों में दिए जाने वाले पदक लाखों रुपये में बेचे जा रहे हैं। इस पोस्ट में राष्ट्रीय खेलों के आधिकारिक लोगो के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की तस्वीर भी जोड़ी गई थी, जिससे खबर को अधिक विश्वसनीय दिखाने का प्रयास किया गया।
राज्य की छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश?
यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगी, जिससे खिलाड़ियों, खेल प्रेमियों और राज्य की जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई। प्रशासन का कहना है कि इस प्रकार की झूठी और भ्रामक खबरें उत्तराखंड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकती हैं और राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की छवि धूमिल कर सकती हैं। खेल विभाग ने भी इस खबर को पूरी तरह से निराधार बताया और इसे भ्रामक प्रचार करार दिया।
पोर्टल संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज देहरादून के प्रधानाचार्य राजेश ममगाई ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए थाना रायपुर में लिखित शिकायत दर्ज करवाई। उनके अनुसार, यह खबर पूरी तरह से झूठी और मनगढ़ंत थी, जिसका कोई ठोस आधार नहीं था। शिकायत के आधार पर थाना रायपुर में मु०अ०सं०- 39/25, धारा 353(2) भारतीय दंड संहिता के तहत ‘उत्तराखंड वाले’ नामक पोर्टल के संचालक के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
फर्जी खबरों पर सख्ती की जरूरत
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया पर खबरें तेजी से फैलती हैं, लेकिन बिना तथ्यात्मक पुष्टि के कोई भी जानकारी साझा करना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह कानूनी रूप से भी अपराध हो सकता है। खेलों से जुड़े ऐसे निराधार आरोप न केवल खिलाड़ियों का मनोबल गिराते हैं, बल्कि राज्य की प्रतिष्ठा पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हैं। प्रशासन और जनता को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों को तर्क और प्रमाणों के आधार पर परखें और झूठी खबरों से सतर्क रहें।



