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स्थानीय महिलाओं और बुजुर्गों का विरोध जारी, शिक्षण संस्थानों के पास शराब की दुकान से बढ़ रही परेशानी
शराब की दुकानों का संचालन केवल एक व्यापारिक गतिविधि नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर स्थानीय समाज और खासकर युवाओं पर पड़ता है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, शिक्षण संस्थानों और रिहायशी इलाकों के पास शराब की दुकानें सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर रही हैं। उत्तराखंड के देहरादून जिले के ग्राम सुद्दोवाला में ऐसे ही एक विवादित वाईन और बीयर शॉप को लेकर स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच गतिरोध बना हुआ है।
डीएम ने की दोनों पक्षों की सुनवाई
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिलाधिकारी सविन बंसल ने न्यायालय के निर्देशानुसार ग्राम सुद्दोवाला में स्थित वाईन और बीयर शॉप को बंद करने की मांग पर सुनवाई की। इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए।
ग्रामीणों का विरोध, छात्रों पर असर
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह दुकान शिक्षण संस्थानों के पास स्थित है, जिससे छात्र-छात्राओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही, आसपास के लोग भी इससे परेशान हैं। विरोध करने वालों में महिलाओं और बुजुर्गों की संख्या अधिक है, जो पिछले कई महीनों से इस शराब की दुकान के खिलाफ धरने पर बैठे हैं।
अनुमति में गड़बड़ी का आरोप
ग्रामीणों ने प्रशासन के समक्ष यह तर्क दिया कि दुकान की अनुमति चकराता रोड के नाम पर ली गई थी, जबकि वास्तव में यह भाउवाला रोड पर संचालित हो रही है। ग्रामीणों ने इसे नियमों का उल्लंघन बताते हुए मानकों की अनदेखी का आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने यह भी आशंका जताई कि विरोध करने पर उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं।
दुकानदार का पक्ष, सभी औपचारिकताएं पूरी होने का दावा
दूसरी ओर, शराब दुकान संचालक ने सफाई दी कि उन्होंने सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही लाइसेंस प्राप्त किया है। उनके अनुसार, जिस स्थान पर यह दुकान स्थित है, वह एमडीडीए से स्वीकृत एक व्यावसायिक संपत्ति है, इसलिए वहां वाईन और बीयर शॉप का संचालन नियमों के तहत हो रहा है।
02 दिनों में आएगा फैसला
जिलाधिकारी सविन बंसल ने दोनों पक्षों की बात गंभीरता से सुनी और स्थानीय अधिसूचना इकाई से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर समस्त तथ्यों का परीक्षण किया। उन्होंने घोषणा की कि इस मामले में 02 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि इस विवाद को लेकर क्षेत्रीय विधायक भी स्थानीय ग्रामीणों के साथ डीएम से मुलाकात कर चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस दुकान के चलते शांति भंग और विवाद की स्थिति बनी रहती है, जिससे आम नागरिकों को असुरक्षा महसूस हो रही है।
प्रशासन पर बढ़ रहा दबाव
स्थानीय विरोध और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए प्रशासन पर इस मामले को गंभीरता से लेने का दबाव बढ़ रहा है। अब देखना होगा कि जिलाधिकारी का निर्णय किस पक्ष के समर्थन में आता है और यह फैसला क्षेत्र में शांति बनाए रखने में कितना कारगर साबित होता है।



