आप को बता दे
टिहरी गढ़वाल: संविदा श्रमिकों का वेतन संकट, समझौते के बाद भी ठेकेदारों पर आरोप
क्या संविदा श्रमिकों को उनका हक मिलेगा? प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
संविदा श्रमिकों की समस्याएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। कई बार समझौते होने के बावजूद वेतन समय पर नहीं मिल पाता, जिससे श्रमिकों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ती है। खासकर सरकारी परियोजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों के लिए यह समस्या और गंभीर हो जाती है, क्योंकि उनके अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई स्पष्ट तंत्र नहीं दिखता।
समझौते के बावजूद ठेकेदारों पर वादाखिलाफी के आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड जल संस्थान संविदा श्रमिक संघ, शाखा देवप्रयाग और पर्वतीय ठेकेदार संघ के बीच 28 जनवरी 2025 को एक बैठक हुई थी। इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच वेतन संबंधी मुद्दों को हल करने के लिए एक समझौता किया गया था। हालाँकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, ठेकेदार पक्ष बार-बार श्रमिकों को फोन कर परेशान कर रहा है और समझौते के बिंदुओं से भटकाने का प्रयास कर रहा है।
वेतन और ईपीएफ़ कटौती को लेकर विवाद
श्रमिक संघ का आरोप है कि ठेकेदारों ने योजनाओं में पूरा वेतन जारी नहीं किया है, और उनके ईपीएफ़ (कर्मचारी भविष्य निधि) में भी कटौती कर दी गई है। इस वजह से श्रमिकों को भविष्य की सुरक्षा को लेकर चिंता हो रही है। श्रमिक संघ ने माँग की है कि यदि ठेकेदार संघ समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता है, तो उन्हें चार रविवार और चार राष्ट्रीय अवकाश का भुगतान दिया जाए।
प्रशासन से हस्तक्षेप की माँग
संविदा श्रमिक संघ ने इस मामले में जल संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों और पेयजल सचिव शैलेश बगोली को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की माँग की है। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो श्रमिक संघ इस मामले को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए मजबूर होगा।
प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी
यह मामला सिर्फ देवप्रयाग तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में संविदा श्रमिकों की हालत चिंताजनक बनी हुई है। समय पर वेतन न मिलना और ईपीएफ़ की कटौती जैसे मामले श्रमिकों की आर्थिक स्थिति को और कमजोर बना रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाता है।



