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देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के नेताओं का पंचायती राज निदेशालय, देहरादून में कल दूसरे दिन भी धरना जारी रहा। यूकेडी के कार्यकर्ताओं ने 28 फरवरी को निदेशालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बुलंद आवाज़ उठाई गई।
स्थानीय लोगों की अनदेखी, यूकेडी का आक्रोश:
धरना दे रहे यूकेडी नेताओं ने निदेशालय की निदेशक निधि यादव पर एनजीओ टेंडर प्रक्रिया में स्थानीय लोगों के हितों के ख़िलाफ़ मानक तय करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पूरे प्रदेश में स्थानीय लोगों की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यूकेडी नेताओं ने बताया कि पंचायती राज विभाग द्वारा छोटे एनजीओ को दिए जाने वाले कार्यों के लिए शर्तों में बदलाव किया गया है, जो स्थानीय लोगों के हितों के खिलाफ हैं।
नए नियम, स्थानीय एनजीओ के लिए चुनौती:
नए नियमों के अनुसार, केवल उन्हीं एनजीओ को काम मिलेगा जिनका पिछले तीन वर्षों का कारोबार 50 लाख रुपये है और जो 2 लाख रुपये धरोहर राशि के रूप में जमा भी कर सकेंगे। यूकेडी नेताओं का तर्क है कि ये शर्तें स्थानीय एनजीओ के लिए बहुत कठिन हैं और इससे उन्हें प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया जाएगा। यह नियम स्थानीय लोगों के हकों के खिलाफ है।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग:
यूकेडी नेताओं ने निदेशक निधि यादव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उनका दावा है कि यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस जाँच की फ़ाइल को रफा-दफा कर दिया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर एनजीओ बना रहे हैं और उन्हें सरकारी काम और ठेके बाँट कर योग्य मूल निवासियों का शोषण कर रहे हैं,जो की पूरी तरह से भ्रष्टाचार है। यूकेडी नेताओं ने मांग की है कि टेंडर प्रक्रिया में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए और नई शर्तों को तुरंत वापस लिया जाए। उन्होंने निदेशक निधि यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच की भी मांग की है।
धरने में शामिल प्रमुख नेता:
आशीष नेगी, केंद्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ, उत्तराखंड क्रांति दल
आशुतोष नेगी, पूर्व लोकसभा प्रत्याशी
जेपी उपाध्याय, उपाध्यक्ष, उत्तराखंड क्रांति दल
रि० मेजर संतोष भण्डारी,
केन्द्रीय अध्यक्ष, महिला प्रकोष्ठ
रि० कैप्टन चंद्रमोहन गड़िया,
केन्द्रीय अध्यक्ष,सैन्य प्रकोष्ठ
प्रकाश भट्ट, संयुक्त मंत्री
मीनाक्षी घड़ियाल, प्रवक्ता
किरन रावत, महामंत्री
नैना लखेड़ा,कुशाल सिंह गढ़िया, महिपाल सिंह पुंडीर और अन्य कार्यकर्ता।
उक्रान्द के इस दमदार प्रदर्शन ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता के मुद्दे को एक बार फिर से कठघरे में खड़ा करते हुये,राज्य में स्थानीय लोगों के हितों की अनदेखी को मजबूती से उठाया है।