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नशे और साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा: पौड़ी पुलिस ने स्कूलों में चलाया जागरूकता अभियान
क्या आपके बच्चे सुरक्षित हैं? क्या वे नशे और साइबर अपराधों के चंगुल में फंसने से बच पाएंगे? उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में भी नशे और साइबर अपराधों का खतरा लगातार बढ़ रहा है। आधुनिक डिजिटल युग में जहां सोशल मीडिया बच्चों के लिए सीखने और मनोरंजन का जरिया है, वहीं यह अपराधियों के लिए एक आसान शिकारगाह भी बन चुका है। साइबर ठग और नशे के सौदागर मासूम युवाओं को अपने जाल में फंसा रहे हैं। इन खतरों से निपटने के लिए पौड़ी पुलिस ने एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू किया है, ताकि युवा पीढ़ी को इसके दुष्प्रभावों से बचाया जा सके।

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय उफल्ड़ा में चला पौड़ी पुलिस का जागरूकता अभियान
रिपोर्ट के अनुसार, पौड़ी जिले के सभी थाना क्षेत्रों में नशे के दुष्प्रभावों और साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए पुलिस द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में, 05 फरवरी 2025 को, अपर उप निरीक्षक वीरेन्द्र बृज्वाल ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय उफल्ड़ा, श्रीनगर में छात्रों के साथ संवाद किया और उन्हें ड्रग्स, साइबर अपराधों और सोशल मीडिया के खतरों के बारे में जानकारी दी।
नशे का बढ़ता जाल: आंकड़े और सच्चाई
अपर उप निरीक्षक के अनुसार, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन कई लोग मादक पदार्थों की लत के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। ड्रग्स न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बर्बाद करता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिति को भी नुकसान पहुंचाता है। छात्रों को यह भी बताया गया कि नशे की लत के कारण अपराध की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

साइबर अपराधों का नया चेहरा: डिजिटल अरेस्टिंग और सोशल मीडिया का खतरा
बच्चों को साइबर अपराधों से बचाने के लिए “डिजिटल अरेस्टिंग” जैसे नए तरीकों के बारे में जानकारी दी गई। पुलिस ने बताया कि कैसे सोशल मीडिया, फर्जी कॉल, फिशिंग लिंक और ऑनलाइन ठगी के जरिए अपराधी लोगों को ठग रहे हैं।
साथ ही, छात्रों को साइबर अपराधों से बचने के लिए महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर जैसे साइबर हेल्पलाइन- 1930 और आपातकालीन सेवा डायल- 112 के बारे में जानकारी दी गई।
क्या करें?
यह अभियान पौड़ी पुलिस की एक महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन नशे और साइबर अपराधों से लड़ने के लिए समाज और परिवारों को भी आगे आना होगा। अभिभावकों को अपने बच्चों पर नजर रखनी होगी, स्कूलों को जागरूकता बढ़ानी होगी और युवाओं को खुद भी सतर्क रहना होगा।



