Sunday, December 28, 2025
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जनपद देहरादून: भिक्षावृत्ति रेस्क्यू अभियान में मिले दो नाबालिग, कूड़ा बीनते हुए पाये गए

आप को बता दे

क्या बचपन का मतलब सिर्फ संघर्ष है? दो मासूम बच्चे भिक्षावृत्ति की ओर क्यों धकेले जा रहे हैं?

देश में बाल श्रम और भिक्षावृत्ति एक गहरी सामाजिक समस्या बनी हुई है। हर साल हजारों बच्चे या तो भीख मांगने या कूड़ा बीनने पर मजबूर हो जाते हैं, जिससे उनका बचपन गरीबी और शोषण की भेंट चढ़ जाता है। यह समस्या केवल आर्थिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक उदासीनता का भी परिणाम है। हाल ही में देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में एक ऐसी ही चिंताजनक घटना सामने आई, जहां दो मासूम बच्चे कूड़ा बीनते हुए पाए गए।

भिक्षावृत्ति रेस्क्यू अभियान के दौरान दो नाबालिग बरामद

रिपोर्ट्स के अनुसार, दिनांक 04 फरवरी 2025 को भिक्षावृत्ति रेस्क्यू अभियान के दौरान दो बालक कूड़ा बीनते हुए पाए गए। अभियान से जुड़ी टीम ने तुरंत इन बच्चों को रेस्क्यू कर थाना सेलाकुई में लाकर उनका मेडिकल परीक्षण करवाया और फिर उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

क्यों बच्चे मजबूर हैं कूड़ा बीनने को?

देश में लाखों बच्चे शिक्षा और सुरक्षित बचपन के बजाय सड़कों पर कूड़ा बीनने, भीख मांगने या छोटे-मोटे काम करने को मजबूर हैं। इसके पीछे मुख्य कारण हैं:
✅ गरीबी और पारिवारिक मजबूरी – कई बच्चे अपने परिवार का पेट भरने के लिए इस राह पर चल पड़ते हैं।
✅ शिक्षा की कमी – स्कूल जाने के बजाय बच्चे जल्दी पैसा कमाने के लिए मजदूरी में लग जाते हैं।
✅ बाल तस्करी और शोषण – कई मामलों में बच्चे संगठित अपराध गिरोहों द्वारा जबरन भिक्षावृत्ति में धकेल दिए जाते हैं।
✅ प्रशासनिक लापरवाही – सख्त कानूनों के बावजूद ज़मीनी स्तर पर उनका सही क्रियान्वयन नहीं हो पाता।

अब क्या होना चाहिए?

➡️ अभिभावकों को जागरूक करना होगा – बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और उनकी आर्थिक सहायता के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाना चाहिए।
➡️ प्रशासन को सख्ती बरतनी होगी – सड़कों पर कूड़ा बीनने या भीख मांगने वाले बच्चों की पहचान कर उन्हें पुनर्वासित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
➡️ समाज को आगे आना होगा – स्थानीय लोग, स्वयंसेवी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस दिशा में पहल कर सकते हैं।

समाज और प्रशासन के लिए चेतावनी

बाल भिक्षावृत्ति और बाल श्रम की घटनाएं किसी भी समाज के लिए एक खतरे की घंटी हैं। यह जरूरी है कि प्रशासन और समाज मिलकर ऐसे बच्चों को सुरक्षित भविष्य दें, वरना आने वाली पीढ़ियां शिक्षा और अवसरों से वंचित रह जाएंगी।

👉 क्या आपने भी ऐसे बच्चों को सड़कों पर संघर्ष करते देखा है? मदद के लिए सही कदम उठाएं, प्रशासन को सूचित करें, और बच्चों को उनका अधिकार दिलाने में योगदान दें।

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