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अनीमिया से लड़ाई में नया मोर्चा, गर्भवती महिलाओं को मिलेगा व्यापक पोषण और उपचार
क्या गर्भवती महिलाओं का अनीमिया खतरे की घंटी है?
भारत में हर साल लाखों महिलाएं अनीमिया की शिकार होती हैं, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। कमजोर शरीर, समय से पहले प्रसव, और बच्चे के कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं इसी की देन हैं। खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। इसी चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार ने “पल्स अनीमिया महा अभियान” की शुरुआत की है।
“पल्स अनीमिया महा अभियान” का शुभारंभ

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं में अनीमिया की रोकथाम और उनके समग्र स्वास्थ्य में सुधार हेतु “पल्स अनीमिया महा अभियान” की शुरुआत स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने देहरादून के रायपुर स्थित स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिर से की। अभियान के तहत राज्यभर में 3 फरवरी से 10 फरवरी 2025 तक विशेष स्वास्थ्य जांच और पोषण सहायता कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महिलाओं को पोषण किट वितरित की गईं, जिनमें आयरन और अन्य आवश्यक पोषक तत्व शामिल हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा अनीमिया से बचाव और स्वस्थ आहार पर परामर्श भी दिया गया।
टी-4 रणनीति के तहत होगा अभियान

स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के अनुसार, यह अभियान “टी-4 रणनीति” पर आधारित होगा, जिसमें चार महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं:
- टेस्ट (Test) – सभी गर्भवती महिलाओं की अनीमिया जांच की जाएगी।
- टॉक (Talk) – महिलाओं को पोषण, आयरन युक्त आहार और विटामिन-सी के महत्व पर परामर्श दिया जाएगा।
- ट्रीट (Treat) – अनीमिया से ग्रसित महिलाओं को आवश्यक उपचार, आयरन थेरेपी और ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसी सेवाएं दी जाएंगी।
- ट्रैक (Track) – उपचार के बाद महिलाओं की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी।
मातृ मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवं अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट के अनुसार, यह अभियान उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से राज्य में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे।
मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने बताया कि राज्य के 1,874 से अधिक स्क्रीनिंग केंद्रों और 165 उपचार केंद्रों पर इस अभियान को लागू किया जाएगा।
WHO और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की भागीदारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से डॉ. भूपेंद्र कौर औलख ने बताया कि यह अभियान पोषण शिक्षा, जागरूकता और बेहतर जीवनशैली को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगा।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ. मनु जैन, स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. तृप्ति बहुगुणा, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
क्या यह अभियान बदलाव ला सकेगा?
सरकार की यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह योजना कितनी प्रभावी ढंग से जमीनी स्तर पर लागू होती है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगी।
क्या यह अभियान उत्तराखंड में मातृ स्वास्थ्य को नई दिशा दे पाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह एक सकारात्मक शुरुआत मानी जा रही है।



