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शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम: ‘उत्कर्ष’ प्रोजेक्ट को ओएनजीसी का 1.5 करोड़ का सहयोग, हुडको से 3 करोड़ की मंजूरी प्रक्रियाधीन
शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में प्रशासन का प्रयास तेज
शिक्षा किसी भी समाज की नींव होती है, लेकिन कई सरकारी स्कूल संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव छात्रों की शिक्षा में बाधा बनता है। ऐसे में सरकारी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए प्रशासन द्वारा ‘प्रोजेक्ट उत्कर्ष’ शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य स्मार्ट क्लासरूम, खेल सुविधाएं और बेहतर बुनियादी ढांचे की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
देहरादून में ‘प्रोजेक्ट उत्कर्ष’ को बड़ा सहयोग
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिलाधिकारी देहरादून सविन बसंल की पहल पर चल रहे ‘प्रोजेक्ट उत्कर्ष’ को ओएनजीसी और हुडको का सहयोग मिल रहा है। ओएनजीसी ने इस प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.5 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भी धनराशि जारी करने की सहमति दी गई है। इसके अतिरिक्त, हुडको द्वारा 3 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी अंतिम चरण में है, जो स्वीकृत होने पर सरकारी स्कूलों में स्मार्ट एलईडी स्क्रीन स्थापित की जाएगी।

स्कूलों में क्या सुविधाएं मिलेंगी?
‘प्रोजेक्ट उत्कर्ष’ के तहत सरकारी स्कूलों को अत्याधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। इसमें फर्नीचर, डिजिटल स्क्रीन, व्हाइट बोर्ड, आउटडोर स्पोर्ट्स सुविधाएं, एलईडी लाइट्स, पुस्तकालय, न्यूज़पेपर, मैगज़ीन, महापुरुषों की जीवनियाँ, शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय और पोषणयुक्त भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जा रही है। जिलाधिकारी ने शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रत्येक कक्षा में उपयुक्त रोशनी और पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
सीडीओ और प्रशासनिक टीम की लगातार मेहनत
इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव शाह लगातार हुडको और ओएनजीसी अधिकारियों के संपर्क में हैं। उनकी सक्रिय भागीदारी से यह परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है। जिलाधिकारी सविन बसंल ने पूर्व में नैनीताल में भी इसी तरह का अभियान सफलतापूर्वक चलाया था, जिसकी सराहना पूरे राज्य में की गई थी। अब देहरादून में भी इसी मॉडल को लागू किया जा रहा है।
प्रशासन का आह्वान: सामाजिक संगठन और प्रतिष्ठान आगे आएं
जिलाधिकारी ने इस पहल में सामाजिक संगठनों और प्रतिष्ठानों को भी जोड़ने का आह्वान किया है, जिससे और अधिक स्कूलों को आधुनिक बनाया जा सके। इस प्रयास के तहत सभी सरकारी स्कूलों में महापुरुषों की जीवनियां अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि छात्रों को नैतिक और बौद्धिक ज्ञान प्राप्त हो सके।
जल्द दिखेगा बदलाव
प्रशासनिक स्तर पर लगातार प्रयासों से यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही देहरादून जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और छात्रों को आधुनिक संसाधनों से युक्त वातावरण मिलेगा। इससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और भविष्य उज्जवल बनेगा।



