उत्तराखंड में विराजमान चतुर्थ केंद्रों में से एक भगवान रुद्रनाथ के कपाट शीतकाल के लिए पूरे विधि विधान के साथ बंद हो गए हैं। अब भगवान रुद्रनाथ की शीतकालीन पूजा गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में संपन्न होगी। 11,808 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में पहुंचने के लिए 19 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है
देहरादून: उत्तराखंड के पंच केदारों में से एक चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट पूरे विधि विधान और बाबा भोलेनाथ के जयकारों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बुधवार सुबह लगभग 8 बजे भगवान रुद्रनाथ का प्रातः कालीन अभिषेक, पूजाएं संपन्न होने के बाद भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर के लिए रवाना हो गई है। मंदिर परिसर में मौजूद सैकड़ो श्रद्धालु इस अलौकिक अवसर के साक्षी बने।
बुधवार को भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली रास्ते में पडने वाले मौलि खर्क में विश्राम करेगी। इसके बाद गुरुवार को डोली सगर गांव होते हुए मंगोल गांव पहुंचेगी। 20 अक्टूबर को भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली शीतकालीन पूजा स्थल गोपीनाथ मंदिर में पूजन के लिए विराजमान हो जाएगी। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान रुद्रनाथ की यात्रा सबसे दुर्गम यात्रा है। समुद्र तल से लगभग 11,808 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान रुद्रनाथ के मंदिर तक पहुंचने के लिए चमोली में स्थित सगर गांव से लगभग 19 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है।
गोणीनाथ मंदिर में पूजा
अगले 6 महीने तक श्रद्धालु चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के दर्शन भगवान के शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर में करेंगे। भगवान रुद्रनाथ के कपाट जब शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं तो भगवान की पूजा गोपीनाथ मंदिर में ही संपन्न होने का विधान है।