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Pahad ki dahad news
दिनांक 1 नवंबर 2025
गंदगी और ज़िंदगी – दोनों एक साथ गुजर-बसर कर रहे दून की सड़कों पर !
इस ‘गरीबी के चक्र’ को बनाए रखने के लिए
सज़ा का हक़दार आख़िरकार कौन—लापरवाह माता 👨👩👧-पिता या राजनेता? 🧔

इस ‘गरीबी के चक्र’ को जानबूझकर बनाए रखने के लिए दोषी कौन है?
लापरवाह माता-पिता,

समाज में बढ़ता यह दोगलापन
एक तरफ लोग आजकल डॉग लवर एनिमल लवर बना रहे हैं

लेकिन वही इंसानी प्रेम भूल गए हैं इंसान होकर इंसान को ना पहचाना मानवता को ना पहचाना
कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं तो फिर उत्तराखंड में देहरादून की सड़कों पर इस अवस्था में सो रहे इन बच्चों

का दोषी कौन
शासन, प्रशासन, या राजनेता ?

जिस भी राज्य के यह लोग हैं,

क्या उस राज्य सरकार की यह नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि इन्हें चिन्हित करके अपने राज्य में वापस बुलाए, और इन्हें घर, मकान और अच्छी शिक्षा दे?”
” देखिए! आज आप लोग अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, IPS या बड़ा अधिकारी बनाना चाहते हैं,

अच्छा जीवन देना चाहते हैं।
लेकिन यह भी तो बच्चे हैं आपके नहीं है लेकिन किसी के तो है

लेकिन क्यों इन छोटे मासूम बच्चों के बारे में समाज के लोगों के मन में कभी कोई ख्याल नहीं आता बदलते इस दौर में समाज के लोग पशु प्रेमी एवं डॉग लवर तो बन रहे हैं लेकिन इंसानी प्रेम छोड़ चुके हैं ऐसा लगता है

लंबे समय से उत्तराखंड के देहरादून में
आखिर किन कारणों इन तस्वीरों को अनदेखा किया जा रहा है देहरादून के धरमपुर रायपुर और उत्तराखंड के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में सड़क किनारे निवास कर रहे इन लोगों की इनकी संख्या अब बढ़ती जा रही है
“एक तरफ़, हमारे शहरों में बड़े-बड़े मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और आलीशान इमारतें तो बन रही हैं…

लेकिन इन गरीबों के लिए एक घर या स्थायी व्यवस्था क्यों नहीं बन पा रही?
आज देश में अंबानी, अडानी और न जाने कितने बड़े उद्योगपति हैं जो केवल कंबल, रजाई और खाना-पीना बांटकर दानदाता तो बन जाते हैं, लेकिन क्या कोई है जो इन्हें स्थायी घर और अच्छी शिक्षा दे सके?
क्या यह सब सिर्फ दिखावा है?
ऐसे हालात को अनदेखा करना ‘समाज का अंधापन’ नहीं तो और क्या है!
क्या उत्तराखंड के लोग भी किसी दूसरे राज्य में जाकर इस तरह से अतिक्रमण करते हैं और सड़कों पर सोते हैं? जब उत्तराखंड के लोग ऐसा नहीं करते, तो अन्य राज्यों से आए हुए लोग ऐसा क्यों करते हैं?
और सबसे बड़ा सवाल—इस पर उत्तराखंड सरकार क्यों खामोश है और क्यों कार्यवाही नहीं होती? ज़रूरत है इंसानियत के नाम पर स्थायी बदलाव लाने की।”




