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जन कल्याण के लिए शिक्षा को रीड की हड्डी माना जाता है शिक्षा सुधारीकरण हेतु सरकारों का हमेशा से प्रयास रहा है!
बावजूद उसके धरातल पर परिस्थिति बद से बदतर देखने को मिलती है !
इसी क्रम में सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति को लागू करने का उत्तराखंड पहला राज्य बना है !
नई शिक्षा नीति को लेकर महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी के साथ .पहाड़ की दहाड़ के संपादक क्रांतिकारी सुरेंद्र सिंह रावत ने सीधी बात रखी जिसके साक्षात्कार के अंश आपके समक्ष !
प्रश्न – नई शिक्षा नीति क्या है ?
जवाब- नई शिक्षा नीति के तहत 4500 हजार आंगनवाड़ी कार्यकर्ती द्वारा प्रदेश के शिशुओं को केंद्रों में पढ़ाने का काम करेगी जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ती द्वारा शिशु वाटिका में वस्तुओं को दिखाकर संख्यात्मक कलात्मक व स्थानीय भाषा के लिए प्रेरित करेगी !
प्रश्न- तिवारी जी जहां तक भाषा की बात की जाए तो पिछले 22 वर्षों से उत्तराखंड का जनमानस अपनी भाषा से लगातार वंचित हो रहे हैं !
जवाब- जी बिल्कुल आपने सही कहा लेकिन इसमें कमियां मां- बाप की होती है! सबसे पहले गुरु मां -बाप ही होते हैं, उनको अपने बच्चों को अपनी स्थानीय भाषा के प्रति प्रेरित करना चाहिए और हमारा भी इस नीति के तहत पूरा प्रयास रहेगा कि हम बच्चों को स्थानीय भाषा कुमाऊनी गढ़वाली जौनसारी सिखाने में हर संभव प्रयास करेंगे !
प्रश्न- तिवारी जी आपका ऑफिस बहुत शानदार है यहां पर सारी सुविधाएं उपलब्ध है लेकिन हमारी सरकार एवं सभी जनप्रतिनिधि सरकारी स्कूलों में अच्छी से अच्छी शिक्षा देने को लेकर बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं! लेकिन जमीनी सच्चाई में अक्सर यह देखने को मिला है कि प्रदेश भर में बहुत से जिलो में सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर देखने को मिली है!
यह अक्सर देखा गया है कि कई स्कूलों के भवन जर्जर स्थिति में मिले एवं संसाधनों की भी बहुत कमी देखने को मिली एवं स्कूल परिसरों में भी स्वच्छता का अभाव रहता है !
जवाब- देखिए ऐसा नहीं है की सभी जगह स्थिति खराब हो जहां तक बात की जाए तो हमारे बागेश्वर एक ऐसा जिला है जहां पर सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना बढ़ चुका है कि वहां पर अभिभावक अपने बच्चों के दाखिले हेतु प्रतीक्षा में रहता है! तो वही हमने प्रदेशभर के स्कूलों के लिए एक लाख फर्नीचर एक हजार स्मार्ट बोर्ड जिसमें छह प्रकार की भाषाओं में अलग-अलग सब्जेक्ट पढ़ाया जा सकता है !
यदि कहीं सरकारी स्कूलों के भवन में टूट-फूट या कोई अन्य असुविधा नजर आती है तो इस प्रकार की स्थिति में हमारे पास पर्याप्त मात्रा में मद उपलब्ध है अभी 133 भवन हमने चिन्हित करें हैं ! जिनकी मरम्मत होनी है जिसका पैसा हमें मिल चुका है मैं स्वयं पंचायती राज के निदेशक पद पर भी हूं पंचायती राज में 15th फाइनेंस कमिशन का पैसा भी हमारे पास है!
उनसे भी इन भवनों की मरम्मत हो सकती है अतः इस तरह की समस्याओं का निवारण हम कर सकते हैं !
प्रश्न- तिवारी जी अक्सर देखा गया है कि अधिकारी कर्मचारी व जनप्रतिनिधि सरकारी स्कूलों की बात तो करते हैं लेकिन जब स्वयं के बच्चों का दाखिला करवाना हो तो वह प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख क्यों करते हैं ,शायद आपके बच्चे भी किसी प्राइवेट स्कूल में जरूर पढ़ रहे होंगे इस पर आपका क्या कहना है !
जवाब- इस सवाल पर बड़ी ही चतुराई के साथ शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी द्वारा मुस्कुराकर जवाब को टाल दिया गया!