जैसे दूध की मलाई से मक्खी को निकाल फेंक देते हैं।
ठीक उसी प्रकार से आज तमाम उत्तराखंडीयों के साथ इसी तरह का सौतेला व्यवहार किया जा रहा है ।
और सरकारें तमाशबीन बनी हुई है, ऐसी कई घटनाएं उत्तराखंड में घटित हो रही है ,उन्हीं तमाम घटनाओं में से एक पीड़ा श्रीनगर के धारी गांव के ग्रामवासियों की देखने को मिली । जहां पर जीवीके कंपनी द्वारा अलकनंदा नदी पर एक विशाल बांध बनाया जा रहा है ।
उस बांध से प्रभावित धारी गांव के ग्रामीणों को कंपनी द्वारा ठगने का काम किया जा रहा है ।
ग्रामीणों के अनुसार उनसे कंपनी द्वारा वादा किया गया कि जब यहां पर बांध का काम शुरू होगा तो।
तमाम प्रभावित परिवारों को नौकरी आवास व अन्य स्थानों पर जमीन आवंटित कर उचित मुआवजा दिया जाएगा।
किंतु इसके विपरीत कंपनी द्वारा अधिकतर परिवारों को ना तो पूर्ण रूप से मुआवजा दिया गया एवं जिन को नौकरी पर रखा भी गया था ।
उनको भी नौकरी से निकाल दिया गया जिसके चलते वह प्रभावित परिवार आज दर –बदर की ठोकरें खाने को मजबूर है जिस संबंध में ग्रामीणों द्वारा कई बार धरना प्रदर्शन व स्थानीय विधायक एवं प्रशासन को तक अपनी पीड़ा सुनाई लेकिन आलम यह है की इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं