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Pahad Ki Dahad News
सोमवार, 27 अक्टूबर 2025
देहरादून/मसूरी: शहर के बीचों-बीच स्थित महत्वपूर्ण खलंगा वन क्षेत्र में भू-माफियाओं की सक्रियता तेज़ी से बढ़ गई है। सड़क किनारे और निचले आरक्षित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अवैध क़ब्ज़े और पक्के निर्माण चल रहे हैं।
यह अतिक्रमण तब हो रहा है जब पूर्व में इसी क्षेत्र में एक निजी क़ब्ज़े के प्रयास पर स्थानीय निवासियों ने तीखी नाराज़गी जताई थी। उस समय वन विभाग और सामाजिक संगठनों ने मिलकर कार्रवाई करते हुए अवैध पिलरों को हटाया था।
बावजूद इसके, स्थानीय लोगों का आरोप है कि मसूरी वन प्रभाग के अधिकारी गहरी नींद में सोए हुए हैं और उनकी घोर अनदेखी के कारण माफिया खुलेआम आरक्षित भूमि हड़प रहे हैं।
बोर्ड की अस्पष्टता बनी अवसर

विभाग द्वारा लगाया गया ‘सार्वजनिक सूचना’ बोर्ड भी इस लापरवाही को बल देता है। बोर्ड में ‘कूड़ा-करकट डालना’ और ‘अवैध गतिविधियाँ’ प्रतिबंधित बताई गई हैं, लेकिन ‘अवैध निर्माण’ या ‘क़ब्ज़ा’ जैसे सख़्त शब्द सीधे तौर पर नहीं लिखे गए हैं। इस अस्पष्ट भाषा का लाभ उठाकर भू-माफिया को लगातार यह अवसर मिल रहा है कि वे वन भूमि को हड़पते रहें।
ग्रीन बेल्ट और छोटे जीवों के आवास पर संकट
भले ही यह बड़ा जंगल न हो, खलंगा क्षेत्र देहरादून के लिए एक महत्वपूर्ण ‘ऑक्सीजन बैंक’ का काम करता है। इस हरियाली के ख़त्म होने से पक्षी, सरीसृप (reptiles) और अन्य समस्त छोटे जीवों का प्राकृतिक आवास ख़तरे में पड़ रहा है। इस बढ़ते मानव हस्तक्षेप और वन क्षेत्र के सिमटने से शहर का पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा और प्रदूषण बढ़ेगा। पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की है कि लापरवाह अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई हो और सभी अवैध क़ब्ज़ों को तुरंत ध्वस्त किया जाए, ताकि शहर के पर्यावरण को बचाया जा सके।



