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जनपद टिहरी गढ़वाल: थत्युड पुलिस ने प्रोजेक्टर सचल वाहन से किया नशा मुक्त अभियान का आगाज, नरेंद्र नगर पुलिस ने इंटर कॉलेज में चलाया जागरूकता कार्यक्रम
क्या नशे की लत युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रही है?
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, वहां युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति चिंता का विषय बन रही है। नशीले पदार्थों का सेवन न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि अपराध दर में भी वृद्धि कर रहा है। स्कूल और कॉलेज के छात्र इसकी चपेट में आ रहे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है। इसी गंभीर समस्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने 2025 के अंत तक राज्य को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया है।

थत्युड पुलिस का अभियान: प्रोजेक्टर के जरिए जागरूकता फैलाने की पहल
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 4 फरवरी 2025 को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देशानुसार थाना थत्युड पुलिस ने समाज कल्याण विभाग, नई टिहरी द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रोजेक्टर सचल वाहन के माध्यम से ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ का शुभारंभ किया। इस अभियान के तहत विभिन्न विद्यालयों में जाकर नशे के दुष्प्रभावों को दर्शाने वाले वीडियो दिखाए गए।
प्रमुख बिंदु:
- कुल 5 विद्यालयों में प्रोजेक्टर वाहन से जागरूकता अभियान चलाया गया।
- राजकीय इंटर कॉलेज रौतू की बेली, राजकीय इंटर कॉलेज भवान, सरस्वती विद्या मंदिर भवान, राजकीय इंटर कॉलेज नकुर्ची, और राजकीय इंटर कॉलेज मथलाऊ में छात्रों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया।
- इस अभियान में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
- वीडियो के माध्यम से बताया गया कि नशीले पदार्थों के सेवन से शरीर में कौन-कौन से रोग हो सकते हैं और इनसे बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
- थत्युड पुलिस टीम ने मौके पर उपस्थित रहकर छात्रों और स्थानीय जनता को नशे के खिलाफ जागरूक किया।
नरेंद्र नगर पुलिस की पहल: जाजल इंटर कॉलेज में जनजागरूकता कार्यक्रम

थाना नरेंद्र नगर के अंतर्गत चौकी जाजल में भी नशा उन्मूलन को लेकर अभियान चलाया गया। उपनिरीक्षक नवल किशोर के नेतृत्व में जाजल इंटर कॉलेज में छात्रों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया गया।
नशा मुक्त उत्तराखंड: एक सामूहिक प्रयास की जरूरत
नशे के खिलाफ इस तरह के अभियान जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए केवल पुलिस या प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को सहयोग करना होगा। माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी होगी, शिक्षकों को विद्यालयों में जागरूकता बढ़ानी होगी, और स्थानीय संगठनों को इस मुहिम में आगे आकर योगदान देना होगा।
समाप्ति पर विचार
यदि समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो युवा पीढ़ी का भविष्य गंभीर संकट में पड़ सकता है। यह जरूरी है कि इस तरह के अभियानों को व्यापक स्तर पर फैलाया जाए और सरकार के साथ समाज भी इस दिशा में ठोस कदम उठाए।



