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वनों की अंधाधुंध कटाई से खत्म हो रहा प्राकृतिक संतुलन
वनों की अवैध कटाई केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों के लिए भी गंभीर खतरा है। जंगलों के खत्म होने से बारिश का चक्र प्रभावित होता है, मिट्टी का कटाव बढ़ता है, और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है। केवलारी वन परिक्षेत्र में भी इसी तरह की अवैध गतिविधियों के कारण प्रशासन को कड़े कदम उठाने पड़े हैं।
तीन बीटों में अवैध कटाई, वनरक्षक निलंबित
प्राप्त जानकारी के अनुसार, केवलारी वन परिक्षेत्र में चल रही जांच के दौरान अब तक केवल तीन बीटों की पड़ताल की गई है, और इनमें बड़े पैमाने पर अवैध कटाई का मामला सामने आया है। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर, इन बीटों के वनरक्षकों को जिम्मेदार मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
विशेष जांच टीम कर रही है गहन पड़ताल
इस अवैध कटाई की शिकायत मिलने के बाद प्रदेश सरकार के निर्देश पर एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। इस दल में भोपाल से डीसीएफ जितेंद्र गुप्ता, सिवनी के सहायक वन मंडल अधिकारी, वन परिक्षेत्र अधिकारी समेत अन्य अधिकारी शामिल हैं। टीम ने मंगलवार से जांच शुरू की है और पूरे वन क्षेत्र की 13 बीटों की पड़ताल की जानी है।
बड़ी कार्यवाही की संभावना, अन्य अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज
सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही भोपाल से एक विशेष जांच दल आने वाला है, जो अवैध कटाई के पीछे छिपे अन्य बड़े अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगा। अब तक जिन तीन बीटों की जांच हुई है, उनमें भारी मात्रा में पेड़ों की अवैध कटाई दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि अन्य बीटों में भी इसी तरह के हालात हो सकते हैं, जिससे वन परिक्षेत्र अधिकारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर भी कार्यवाही हो सकती है।
वन माफियाओं की मिलीभगत उजागर, बड़े वाहन और औजार जब्त
जानकारी के अनुसार, केवलारी परिक्षेत्र में अवैध कटाई और लकड़ी के अवैध परिवहन में संलिप्त माफिया भी पुलिस के शिकंजे में आ चुके हैं। हाल ही में कुछ संदिग्धों को कटाई के औजारों और भारी वाहनों सहित पकड़ा गया था। इससे यह आशंका और भी प्रबल हो गई है कि यह पूरा नेटवर्क वन विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ही संचालित हो रहा था।
प्रशासन से कड़ी कार्यवाही की मांग
पर्यावरण विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों ने इस मामले पर कड़ी नाराजगी जताई है और प्रशासन से कठोर कदम उठाने की मांग की है। अगर समय रहते इस अवैध कटाई पर रोक नहीं लगाई गई तो यह पूरे क्षेत्र की पारिस्थितिकी को गहरा नुकसान पहुंचा सकती है।
👉 क्या सरकार और प्रशासन इस पर बड़ी कार्यवाही करेगा? या फिर यह मामला अन्य जांचों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?



