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कचरा प्रबंधन में लापरवाही से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सफाई व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ता है। असमय कचरा उठान न होने से न केवल गंदगी फैलती है बल्कि दुर्गंध और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब ठेकेदार या संबंधित एजेंसियां अपने दायित्वों को सही ढंग से नहीं निभाती हैं, जिससे स्थानीय निवासियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।
देहरादून नगर निगम का सख्त रुख: कचरा प्रबंधन में लापरवाही पर कंपनी को नोटिस
कचरा प्रबंधन में लापरवाही से देहरादून की सफाई व्यवस्था गंभीर संकट में है। नगर निगम ने इकॉन वाटरग्रेस मैनेजमेंट को डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने और करगी ट्रांसफर स्टेशन पर शर्तों के अनुसार कार्य न करने के कारण नोटिस भेजा है। जानकारी के अनुसार, कंपनी द्वारा किराए पर लिए गए वाहनों के मालिकों ने ट्रक और जेसीबी मशीन खड़ी कर ट्रांसफर स्टेशन पर कचरा लाने वाले वाहनों का मार्ग बाधित किया। इससे 77 वाहनों और डंपरों का संचालन प्रभावित हुआ। निगम ने सात दिन में जवाब मांगा है और स्पष्ट किया है कि संतोषजनक उत्तर न मिलने पर कंपनी की सिक्योरिटी जब्त की जाएगी और उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
विगत एक माह से देहरादून में प्रतिदिन लगभग 140 मीट्रिक टन कचरा ही एकत्र हो रहा है, जिसमें से केवल 25-30% ही शीशमबाड़ा प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है। सफाई व्यवस्था की इस स्थिति से शहर में दुर्गंध और गंदगी बढ़ रही है, जिससे जन आंदोलन की आशंका जताई जा रही है। जिलाधिकारी/प्रशासक सविन बंसल की 6 नवंबर को आयोजित समीक्षा बैठक में नई फर्म के आने तक सफाई व्यवस्था में सहयोग देने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद सुधार न होने पर निगम ने नोटिस जारी किया है। प्रशासन का कहना है कि लापरवाही जारी रहने पर कठोर वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।



