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पारंपरिक मेले में उमड़ती आस्था: सुरक्षा और तैयारियों के लिए पुलिस और प्रशासनिक निरीक्षण
भारत में मेलों और त्यौहारों का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक होता है। ये आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि स्थानीय परंपराओं, संस्कृति और सामूहिकता को भी प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे मेलों में अक्सर हजारों श्रद्धालु आते हैं, जिसके कारण सुरक्षा और व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस की होती है।
“बौखनाग देवता का मेला”, जो हर तीसरे साल ग्यारह गते मंगसीर को उत्तरकाशी के बौख टिब्बा में आयोजित होता है, एक ऐसा ही आयोजन है। आगामी 25 और 26 नवंबर 2024 को होने वाले इस मेले की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए 17 नवंबर 2024 को पुलिस उपाधीक्षक बड़कोट सुरेंद्र सिंह भंडारी के नेतृत्व में उत्तरकाशी पुलिस, राजस्व विभाग और वन विभाग की टीम ने स्थल का निरीक्षण किया।
इस दौरान टीम ने मेले स्थल पर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया। बौख टिब्बा, जो समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, गंगा और यमुना के बीच एक रमणीय स्थल है। देवदार, बांज, और बुरांश के पेड़ों से घिरा यह स्थान आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मेल प्रस्तुत करता है।
प्राचीन धार्मिक मान्यताएं:
बौखनाग देवता के मेले में नवविवाहित जोड़े और संतानहीन दंपत्ति सच्चे मन से भाग लेते हैं। नंगे पैर खड़ी चढ़ाई चढ़कर इस स्थल तक पहुंचने वालों की मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास है। मेले से एक दिन पहले मोरल्टू में बौखनाग देवता का जागरण आयोजित होता है, जो इस धार्मिक आयोजन का प्रमुख आकर्षण है।
पुलिस और प्रशासन की टीम ने स्थानीय लोगों से संवाद करते हुए सुरक्षा और अन्य आवश्यक प्रबंधों पर जोर दिया। यह सुनिश्चित किया गया कि मेले के दौरान सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुव्यवस्थित वातावरण मिल सके



