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पहाड़ की दहाड़ न्यूज़
भू कानून लागू करो लागू करो मुख्यमंत्री आवास कूच कर रही जनता ने कहा
क्या है भू कानून मूल निवास 1950 और कौन है उत्तराखंड का मूल निवासी
जानिए पूरी जानकारी आपको बता देना चाहते हैं की 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ जिसके अनुसार 1950 से जो नागरिक जिस जगह का निवासी है वह वहां का मूल निवासी है
उत्तराखंड को छोड़कर सभी जगह मूल निवास 1950 लागू है
उत्तराखंड का मूल निवास लागू होने से क्या फायदा होगा
मूल निवास 1950 के आधार पर राज्य के सभी सरकारी प्राइवेट क्षेत्रों में 70% नौकरियों पर मूल निवासियों का अधिकार होगा
लगभग सभी सरकारी प्राइवेट क्षेत्र में 70% अधिकार मूल निवासियों का होगा
क्या है सख्त भू कानून
प्रत्येक राज्य का भू संरक्षण हेतु अपना भूमि कानून होता है एवं पर्वतीय राज्यों को इस विषय में विशेष अधिकार प्राप्त होता है
परंतु उत्तराखंड भू कानून बहुत लचीला एवं कमजोर है
जबकि अन्य पर्वतीय राज्यों में सशक्त भू कानून है
उत्तराखंड में सशक्त भू कानून क्या है और उससे फायदा ?
उत्तराखंड के निवासी ही उत्तराखंड राज्य में निवास भूमि और व्यावसायिक भूमि को आधार में खरीद और बेच सकता है इससे यह फायदा होगा कि उत्तराखंड में व्यवसाय के नाम पर जो कृषि भूमि का नाश हो रहा है उसे पर रोकथाम लगेगी
उत्तराखंड में कृषि भूमि को खरीदने का अधिकार केवल मूलनिवासी का होगा
इससे यह फायदा होगा की मूल निवासियों की भूमि सुरक्षित रहेगी और पलायन पर भी रोक लगेगी
गैर उत्तराखंडी बाहरी व्यक्ति यदि उत्तराखंड राज्य में निवास भूमि खरीदना चाहता है तो उसे पहले 30 वर्षों तक उत्तराखंड में रहना होगा
और उसके बाद वह 250 वर्ग मीटर तक की भूमि को निवास के लिए खरीद सकता है
इससे यह फायदा होगा कि उत्तराखंड राज्य की संस्कृति विरासत संस्कृत भाषा रीति रिवाज सुरक्षित रहेंगे
गैर उत्तराखंडी बाहरी व्यक्ति व्यवसायिक भूमि और कृषि भूमि को लीज पर ही ले सकता है वह कृषि भूमि और व्यवसायिक भूमि को खरीद नहीं सकता है इससे यह फायदा होगा कि लीज पर दी गई भूमि पर अधिकार तो उत्तराखंड के लोगों का ही रहेगा और लीज के तौर पर दी गई भूमि एक तो उपजाऊ रहेगी और उससे भू- स्वामी की आमदनी भी आती रहेगी साथ ही राज्य सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा
उत्तराखंड में आर्टिकल 371 की मांग क्यों ?
आर्टिकल 371 किसी भी राज्य को विशेष प्रावधान भू संरक्षण संस्कृति धार्मिक आदि मामलों में देता है
बाकी प्रवृत्तियां राज्यों में यह व्यवस्था होने के बावजूद यहां उत्तराखंड में लागू नहीं है
उत्तराखंड को आर्टिकल 371 के अंतर्गत केंद्र सरकार से कौन-कौन सा विशेष अधिकार चाहिए ?
उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग पर्वतीय विकास बोर्ड बने
उत्तराखंड में राज्य की भूमि संबंधित मामलों के लिए राज्य सरकार की सहमति के बिना केंद्र सरकार भूमि संबंधित मामलों कानून नहीं बना सकती
उत्तराखंड विधानसभा सीटों का परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर हो यह अधिकार भारतीय संविधान देता है
उत्तराखंड में राज्य की संस्कृति और रीति रिवाज से संबंधित मामलों में राज्य सरकार की सहमति के बिना केंद्र सरकार संस्कृति और रीति रिवाज से संबंधित मामलों में कानून नहीं बना सकती
उत्तराखंड में इनर लाइन परमिट की मांग क्या है ?
उत्तराखंड में यदि कोई भारी व्यक्ति आता है तो उसे राज्य में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता पड़ेगी और जो इसके लिए आवेदन करेगा तो अपना संपूर्ण बुरा भी देना पड़ेगा
ऐसे में यदि कोई अपराधिक घटना होती है तो राज्य के पास उसे ट्रैक करने के लिए डाटा रहेगा
इससे राज्य में लव जिहाद लड़कियों का अपहरण हत्या और चोरी नशाखोरी जैसे अपराधी घटनाओं पर लगाम लगेगी
अगर उत्तराखंडायों को यह अधिकार नहीं मिलता है तो परिणाम क्या होगा ?
अगर यह सभी अधिकार उत्तराखंड यों को नहीं मिलते हैं तो आने वाले कुछ ही वर्षों बाद पर्वतीय क्षेत्र का ना ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा और कुछ ही समय बाद यहां के मूल निवासी अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक बन जाएंगे
हमारी संस्कृति रीति रिवाज एवं बोली भाषा विलुप्त की कगार पर आ जाएगी कुछ समय बाद पर्वतीय क्षेत्रों में विधानसभा सिम कम और मैदानी क्षेत्रों में ज्यादा हो जाएगी जिसके कारण पर्वतीय क्षेत्रों की विकास दर रुक जाएगी अपराधिक घटनाएं बढ़ेगी जिससे असुरक्षा का माहौल बनेगा
तो यह थी भू कानून मूल निवास 1950 की संपूर्ण जानकारी और इसी के आधार पर लगातार राज्य में भू कानून की मांग हो रही है मुख्यमंत्री आवास कूच कर रहे सैकड़ो हजारों लोगों की जुआ पर भू कानून लागू करो मूल निवास 1950 लागू करो के नारे लग रहे थे
अब देखना यह है कि उत्तराखंड में धामी सरकार द्वारा पहली भी भू कानून पर वादा किया गया लेकिन लागू नहीं किया गया
अब इस तरह का कानून लागू होता है या नहीं यह भी देखना बाकी है
आप बन रहे पहाड़ की दहाड़ न्यूज़ में 🚩हर हर महादेव 🚩




