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आपको बता दें
चर्चित अंकित भंडारी हत्या कांड को 2 वर्ष हुए पूरे उत्तराखंड का क्षेत्रीय दल यूकेडी एवं पहाड़ी स्वाभिमान सेना के बैनर तले देहरादून गांधी पार्क से परेड ग्राउंड होते हुए घंटाघर तक पैदल चलते हुए सैकड़ो लोगों द्वारा मसाल जुलूस निकालकर हाथों में तख्तियां लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया
अंकित भंडारी को न्याय दिलवाले की की मांग की गई
बता दे की
जहां एक तरफ अंकित भंडारी हत्या कांड केस से जुड़े मुख्य आरोपी अभी जेल में है पूरा मामला 2 सालों से लगातार कोर्ट में चल रहा है
वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड प्रदेश में अंकित भंडारी के इंसाफ के लिए बार-बार चल रहे विरोध प्रदर्शन आंदोलन में इन मांगों को मुख्य बिंदु बनाकर लगातार सरकार को घेरा जा रहा है
(1 ) स्थानीय विधायक रेनू बिष्ट द्वारा वंतरा रिजॉर्ट पर बुलडोजर क्यों चलाया गया
(2 )इस पूरे मामले में VIP कौन था अगर कोई वीआईपी था तो पुलिस द्वारा उसकी अरेस्टिंग आज तक क्यों नहीं हुई
इन्हीं बिंदुओं पर कल समस्त यूकेडी नेता युवा कार्यकर्ताओं एवं महिलाओं द्वारा अपना विरोध प्रकट किया गया
साथ में प्रदर्शनकारियों द्वारा यह गंभीर आरोप भी लगाया गया की वीआईपी भाजपा का नेता है
जिसे आज तक पुलिस ने अरेस्ट नहीं किया
जिसको लगातार सरकार बचाने का प्रयास कर रही है
विगत 2 वर्ष से चल रहे विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकार्यों की जुबान पर कुछ इसी तरह की मांग सरकार से रही है
अब देखना यह है कि आगे चलकर अंकिता भंडारी केस में क्षेत्रीय दल राजनैतिक पार्टी एवं तमाम प्रदर्शनकारियों की ज़ुबान पर माँगो की संख्या कितनी और बढ़ती है यह देखना अभी बाक़ी है
पहाड़ की दहाड़ न्यूज़
क्रांतिकारी सुरेन्द्र सिंह रावत
क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय पार्टियां एवं तमाम संगठनों के लिए भले ही यह एक मुद्दा हो राजनीति करने का पर
अपनी बेटी को खो देने वाले एक माता पिता के लिए एक एसी दुख की घड़ी है जिसमें उनका समय सही नहीं चल रहा है
वह बेचैन है बेताब है यह जानने को कि 18 सितंबर 2022 की उस रात को उनकी बेटी के साथ क्या घटना घटित हुई
पिछले दो वर्षों से जेल में बंद कैदियों ने उनकी बेटी के साथ आख़िर क्या किया रेप हत्या एक्सीडेंट मृत्यु गुनहगारों ने जैसा किया हो कृत्य वैसे ही उनको मिले सज़ा
यह अंकिता भंडारी के माता पिता ही नहीं लगभग पूरे देश में वह सभी लोग यही चाहते हैं
जिन्होंने इस पूरे मामले को सुना या देखा है
और बस अब देखना और सुनना चाहते हैं कोर्ट के उस फ़ैसले को जो पिछले दो सालों से अब तक नहीं आया
जिस कारण यह मामला राजनेताओं द्वारा लगातार एक के बाद एक सवाल उठाकर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करके नेताओं के लिए एक चुनावी अखाड़ा बनता जा रहा है
तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड भाजपा सरकार के लिए शर्मिंदगी का विषय भी बनता जा रहा है