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बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है। यह प्रथा न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकारमय बना देती है। बाल विवाह के कारण बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ता है और वे कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
पिथौरागढ़ पुलिस की सूझबूझ से टली नाबालिग की शादी
पिथौरागढ़ पुलिस ने एक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान एक नाबालिग बालिका की शादी को टालने में सफलता प्राप्त की। एसपी रेखा यादव के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मड़खड़ायत में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में उप-निरीक्षक मीनाक्षी मनराल, हे0 का0 चंद्रा गोस्वामी, का0 सुरेन्द्र रौतेला, तथा का0 त्रिलोक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान पुलिस टीम ने बच्चों की करियर काउन्सलिंग की और उन्हें बाल विवाह, महिला अपराधों, साइबर क्राइम, सड़क सुरक्षा, एवं नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया। इसी दौरान एक 14 वर्षीय बालिका ने पुलिस को सूचित किया कि उसके घर वाले उसकी शादी कराने वाले हैं। पुलिस ने तुरंत संज्ञान लेते हुए शिक्षकों की उपस्थिति में बालिका की काउन्सलिंग की और उसके परिजनों को बाल विवाह कानून के बारे में अवगत कराया।
परिजनों ने स्वीकार किया कि उन्हें इस कानून की जानकारी नहीं थी और उन्होंने आश्वासन दिया कि वे अपनी बेटी की शादी 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के उपरांत ही करेंगे। इस मामले में अग्रिम आवश्यक कार्यवाही हेतु रिपोर्ट चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सी0डब्लू0सी0) को प्रेषित की जा रही है।
पुलिस विभाग नागरिकों से अपील करता है कि वे इस प्रकार की घटनाओं की सूचना तुरंत पुलिस को दें, ताकि समाज में जागरूकता लाई जा सके और बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।